


केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रतलाम जिले में आयोजित माधव रत्न सम्मान समारोह में अपने पिता स्व माधवराव सिंधिया को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, "मैं दिखता जवान हूं, लेकिन मेरी आत्मा बूढ़ी हो गई है।" सिंधिया ने रिश्तों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि जीवन में रिश्ते बनाना सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाकी सब यहीं रह जाएगा। यह समारोह उनके पिता की स्मृति में आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की 16 हस्तियों को सम्मानित किया गया। सिंधिया ने अपने संबोधन में जीवन के मूल्यों और रिश्तों की गहराई को साझा किया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संबोधन में भावुक होकर कहा कि वह इस कार्यक्रम में मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में उपस्थित हुए हैं। उन्होंने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि 1980 के समय जब भी परिवार में बातचीत होती थी, तो रतलाम का नाम अक्सर आता था। उन्होंने यह भी कहा कि पहले समय कैसे बीत जाता था, इसका पता नहीं चलता था, लेकिन अब घड़ी देखते रहना पड़ता है।
रिश्ते बनाने में कंजूसी न करें
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संबोधन में रिश्तों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि "रिश्ते बनाने में कंजूसी न करें। जीवन में अपना प्यार और आत्मा झोंक दें, क्योंकि अंत में केवल लोगों का प्यार और उनके आंसू ही साथ जाएंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री या विधायक बनना साथ नहीं जाएगा, लेकिन रिश्तों की गहराई और सच्चाई हमेशा याद रखी जाएगी। नेशनल हेराल्ड मामले पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून अपना काम सही तरीके से कर रहा है और सभी का फैसला होगा। इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की 16 हस्तियों को माधव रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।